OPS News: पुरानी पेंशन योजना को लेकर वित्त मंत्रालय के साथ हुई बैठक, जानें पूरी खबर

OPS News: आपको बता दें, की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद सत्र में टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में सरकारी कर्मचारियों के ‘पेंशन सिस्टम’ की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की, जानिए पूरी खबर।

Trending Mudde: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की देश में पुरानी पेंशन में बड़ा बदलाव आया है। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों ने एक मई से देश भर में ओपीएस की बहाली के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की। NGCA ने 19 मार्च को केंद्र सरकार को हड़ताल की सूचना दी।

14 मार्च को उत्तर ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी और नेशनल काउंसिल/जेसीएम (स्टाफ साइड) के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में हड़ताल पर जाने का निर्णय रद्द कर दिया गया। केंद्रीय कर्मचारी अब अनिश्चितकालीन हड़ताल नहीं करेंगे। एनजेसीए के निर्णय से कई कर्मचारी संघ खुश नहीं हैं, जो ओपीएस के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी और नेशनल काउंसिल/जेसीएम (स्टाफ साइड) के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में एआईआरएफ के अध्यक्ष शिव गोपाल मिश्रा, एनएफआईआर के गुमान सिंह, कन्फेडरेशन की तरफ से रूपक सरकार, आईएनडीडब्ल्यूएफ के आर. श्रीनिवासन, एआईडीईएफ के श्री कुमार और ऑल इंडिया अकाउंट्स एंड ऑडिट

शिव गोपाल मिश्रा ने स्ट्राइक कॉल वापस लेने के पत्र में कहा कि श्री कुमार के साथ बैठक के कार्यक्रम पर चर्चा हुई है, लेकिन वे किन्हीं कारणों से बैठक में उपस्थित नहीं हो सके।

वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी ने बैठक में चलते-चलते वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पेश करने में देरी का कारण बताया। डिप्टी सेक्रेटरी ने बताया कि कमेटी कर्मचारियों के मुद्दे पर बहुत गंभीर है। कमेटी सरकार को अपनी रिपोर्ट जल्द ही सौंप देगी।

सरकार को छह सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया था, डिप्टी सेक्रेटरी ने जेसीएम (स्टाफ साइड) के सदस्यों से कहा कि कमेटी पर विश्वास रखें। जेसीएम को वित्त मंत्रालय की कमेटी के अंतिम निर्णय पर पहुंचने के लिए कुछ समय देना चाहिए। इसलिए 19 मार्च को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने की प्रक्रिया रद्द कर दी गई है। साथ ही, एक मई से देश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का आह्वान करने वाले कर्मचारी संगठनों ने वापस लिया है।

फरवरी में, कर्मचारी संघों ने केंद्र सरकार को ओपीएस को लागू करने के लिए छह सप्ताह का अल्टीमेटम दिया था, क्योंकि वे देश में ‘पुरानी पेंशन’ की बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। सात फरवरी को नई दिल्ली में हुई नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था। केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई जो अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और स्ट्राइक की तिथि घोषित करने के लिए काम करेगी।

उस महत्वपूर्ण कमेटी में शिव गोपाल मिश्रा, कन्वीनर (जीएस/एआईआरएफ), डॉ. एम राघवैया, को-कन्वीनर (जीएस/एनएफआईआर), कामरेड एसएन पाठक, अध्यक्ष (आईईडीएफ), कामरेड अशोक सिंह, अध्यक्ष (आईएनडीडब्लूएफ), कारमेड रूपक सरकार, आईटीएफ/कॉन्फेडरेशन, कामरेड गीता पांडे, अध्यक्ष (आईपीटीएफ) और राज्य कर्मचारी संयुक्त पुरानी पेंशन को फिर से शुरू करने का अगला कदम क्या होगा? भी इस कमेटी को देश में अनिश्चितकालीन स्ट्राइक की तिथि निर्धारित करने का अधिकार दिया गया। 19 मार्च को इसी कमेटी ने स्ट्राइक की घोषणा की और एक मई से देश भर में हड़ताल पर जाने का फैसला किया।

गत वर्ष 24 मार्च को, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद सत्र में टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में सरकारी कर्मचारियों के ‘पेंशन सिस्टम’ की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की। समिति का गठन छह अप्रैल को हुआ था। इस कमेटी में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के सचिव, व्यय विभाग के विशेष सचिव और पेंशन फंड नियामक विकास प्राधिकरण (PFRDA) के अध्यक्ष टीवी सोमनाथन शामिल हैं। समिति निर्णय लेगी कि सरकारी कर्मचारियों पर लागू एनपीएस के मौजूदा ढांचे में कोई बदलाव आवश्यक है या नहीं। राजकोषीय निहितार्थों और समग्र बजटीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए समिति जो भी सुझाव देगी, उसे ध्यान में रखा जाएगा।

स्ट्राइक वापस लेने के पीछे की कहानी: देश भर में केंद्रीय और राज्यीय कर्मचारी संगठनों ने लंबे समय से ओपीएस की बहाली की मांग की है। रेलवे, रक्षा, डाक, आयकर, अकाउंट और ऑडिट, केंद्रीय सचिवालय, इसरो और डीई के अलावा स्वायत्त संस्थाएं, सीएपीएफ, सभी राज्यों के सरकारी कर्मचारी, यूटी क्षेत्रों के कर्मी, प्राथमिक स्कूल, हाई स्कूल, उच्च शिक्षा विभाग, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के शिक्षक भी ओपीएस की बहाली की कोशिश कर रहे थे। दिल्ली में राष्ट्रीय ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन, ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’, कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स और नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने पुरानी पेंशनों की बहाली की मांग की। कर्मचारी संघ के एक अध्यक्ष ने कहा कि एनजेसीए के वरिष्ठ अधिकारी पर कर्मचारियों को भरोसा नहीं था।

केंद्र सरकार से बातचीत के लिए उन्हें ही क्यों बुलाया जाता है, यह सवाल कई बार उठाया गया है। OPSS के लिए दूसरे संगठन भी संघर्ष कर रहे हैं। 14 मार्च की बैठक में निर्वाचित लोगों ने हड़ताल नहीं करने का फैसला किया। पिछले वर्ष वित्त मंत्रालय की कमेटी बनाई गई थी, लेकिन अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई। इसके बावजूद, कमेटी को अधिक समय दिया गया। क्या केंद्रीय और राज्य कर्मचारी संगठनों से बातचीत की गई है इस निर्णय से पहले? यह सरकार का सीधा असर है।

आंदोलन बैठक के बाद फिर से शुरू होगा
एसबी यादव, कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव, ने कहा कि आंदोलन को फिर से शुरू करने पर विचार होगा। संगठन की बैठक होगी। ओपीएस और अन्य लंबित मुद्दे केंद्र की नई सरकार के सामने दृढ़ता से प्रस्तुत होंगे। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं: केंद्रीय सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, निजीकरण पर रोक लगाना, आठवें वेतन आयोग का गठन करना और कोरोना काल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर देना। सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों पर चरणबद्ध प्रदर्शन किया जाएगा।

कर्मचारियों की मांगों में पीएफआरडीए एक्ट में बदलाव करना या उसे पूरी तरह हटाना भी शामिल है। जब तक इस अधिनियम को खत्म नहीं किया जाता, ओपीएस की प्रगति निरंतर कठिन होगी। कारण यह है कि एनपीएस के तहत कर्मचारियों से प्राप्त धन पीएफआरडीए के पास जमा होता है। केंद्रीय सरकार ने घोषणा की है कि राज्यों को धन नहीं दिया जाएगा। ऐसे में, सरकार बदलते ही एनपीएस जहां भी लागू हो रहा है, दोबारा से लागू हो जाएगा? ऐसे में राज्यों की ओपीएस बहाली में कई समस्याएं होंगी। ऑल इंडिया एनपीएस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने कहा कि चुनींदा कर्मचारी संगठनों को ही वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी की बैठक में क्यों बुलाया जाता है। सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए, क्योंकि कई बड़े संगठन ओपीएस की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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