Abortion Constitutional Right: फ्रांस मे अबॉरशन बना कानूनी हक, जानिए भारत मे क्या है इस पर कानून

Abortion Constitutional Right: फ्रांस ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गर्भपात को संवैधानिक रूप से महिलाओं का अधिकार बनाया है। 4 मार्च 2024 को, फ्रांसीसी सांसदों ने संसद के संयुक्त सत्र में इस अधिकार से संबंधित विधेयक को मंजूरी दी। फ्रांसीसी संसद के दोनों सदनों, नेशनल असेंबली और सीनेट ने फ्रांस के संविधान के अनुच्छेद-34 को संशोधित करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी है. इससे महिलाओं को गर्भपात करने का अधिकार मिलेगा। एक ओर, गर्भपात को संवैधानिक रूप से अनुमति देने वाला फ्रांस दुनिया का पहला देश बन गया है। जबकि दूसरी ओर, यूरोपीय देशों में इस बात पर बहस छिड़ गई है कि इसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं। जानते हैं कि भारत और यूरोप के दूसरे देशों में गर्भपात पर लागू कानून क्या कहता है?

फ्रांस में महिलाएं काफी समय से गर्भपात का अधिकार दिए जाने की मांग कर रही थीं. सरकार ने इसको लेकर कई सर्वेक्षण भी कराए गए थे. सर्वेक्षण में शामिल 85 फीसदी लोगों ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने का समर्थन किया था. फ्रांस के साथ ही कई यूरोपीय देश गर्भपात के अधिकार का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि, ज्‍यादातर यूरोपीय देशों में सशर्त गर्भपात वैध है. यूरोप के 40 से ज्‍यादा देशों में महिलाएं गर्भावस्‍था के दिनों के आधार पर गर्भपात की सुविधा ले सकती हैं. आसान भाषा में समझें तो अगर जांच में होने वाले बच्‍चे को कोई गंभीर बीमारी पाई जाती है या गर्भावस्‍था का समय कम है तो अबॉर्शन कराने का अधिकार है.

ब्रिटेन में 24 हफ्ते तक अबॉर्शन है लीगल | Abortion Constitutional Right in Britain

सबसे पहले जानते हैं कि गर्भपात को लेकर ब्रिटेन में कानून क्‍या कहता है? दरअसल, ब्रिटेन में अबॉर्शन एक्ट 1967 के तहत गर्भपात वैध है. हालांकि, यहां गर्भावस्था के 24 हफ्ते तक दो डॉक्‍टरों की मंजूरी मिलने पर गर्भपात की छूट है. वहीं, अगर मां के जीवन को बच्‍चा पैदा करने से खतरा है तो गर्भपात वैध माना जाता है. वहीं, अगर गर्भावस्‍था को 24 हफ्ते से ज्‍यादा हो गए हैं, तो अबॉर्शन की मंजूरी लेना जटिल हो जाता है. इंग्लैंड और वेल्स में अगर किसी महिला ने 24 हफ्ते से ज्‍यादा के गर्भ का अबॉर्शन कराया तो महिला पर ऑफेंसेस अगेंस्ट द पर्सन एक्ट 1861 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. हालांकि, अब ब्रिटिश संसद में कानून निर्माता इस कानून की संबंधित धारा को हटाने पर विचार कर रही है.

रूस में गर्भपात के लिए नहीं है कोई शर्त | Abortion Constitutional Right in Russia

रूस में कोई भी महिला 12 हफ्ते तक की गर्भावस्‍था को बिना किसी शर्त टर्मिनेट करा सकती है. वहीं, रेप के मामलों में 22 हफ्ते तक गर्भपात करा सकती हैं. अगर कोई मेडिकल कंडीशन है तो गर्भावस्‍था के किसी भी हफ्ते में गर्भपात की छूट रहती है. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते हैं कि रूसी महिलाएं बड़े परिवार पर ध्‍यान दें. इसके लिए उन्‍होंने बकायदा महिलाओं से अनुरोध भी किया था. रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से जारी जंग के बाद गर्भपात के अधिकारों पर दबाव बढ़ा है. रूस के 7 क्षेत्रों ने 2023 के बाद से महिलाओं को जबरदस्ती गर्भपात कराने वाले व्यक्ति को कड़ी सजा देने वाले कानून पारित किए हैं.

पोलैंड में अबॉर्शन पर लगाई गई है पूरी तरह पाबंदी | Abortion Constitutional Right in Polland

इटली में महिलाओं को 1978 से गर्भपात की छूट है. इटली में गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों या जीवन पर खतरा होने स्थिति में अबॉर्शन की छूट मिलती है. वहीं, ये कानून डॉक्टरों को हक देता है कि किसी महिला का अबॉर्शन करने से इनकार कर सकता है. डॉक्टरों के इस हक के कारण महिलाओं की अबॉर्शन प्रोसेस तक पहुंच कम हो जाती है. वहीं, पोलैंड में गर्भपात पर प्रतिबंध है. हालांकि, महिला के जीवन या स्वास्थ्य को खतरा होने पर गर्भपात की छूट रहती है. वहीं, अगर गर्भावस्‍था अनाचार की वजह से हुई हो तो भी अबॉर्शन की छूट रहती है. अगर किसी महिला को पता चले कि होने वाले बच्‍चे में स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी कोई दिक्‍कत है तो गर्भपात की मंजूरी रहती थी, जिसे 2020 में खत्‍म कर दिया गया.

भारत में क्या है गर्भपात कानून | Abortion Constitutional Right in India

भारत में गर्भपात को ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971’ के जरिये नियंत्रित किया जाता है. देश में रजिस्टर्ड डॉक्‍टर कुछ शर्तों के साथ गर्भपात कर सकता है. अगर गर्भावस्‍था के कारण महिला के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा हो तो गर्भपात की छूट रहती है. वहीं, अगर होने वाले बच्‍चे को दिमाग से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी की आशंका हो तो भी अबॉशन लीगल माना जाता है. वहीं, अगर डॉक्टर को लगता है कि प्रसव के दौरान महिला को शारीरिक असामान्यताएं होंगी तो अबॉर्शन का अधिकार है.

ऐसे मामलों में है अबॉर्शन कराने की छूट

देश में अगर गर्भनिरोधक लेने के बाद भी महिल गर्भवती हो जाती है तो कानून के मुताबिक इसे गर्भनिरोधक नाकामी का नतीजा माना जाएगा. ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति मिलती है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक फैसले में कहा था कि अविवाहित महिला को 24 हफ्ते तक गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए. बता दें कि रेप के कारण प्रेगनेंट होने पर भारत में 24 हफ्ते तक का अबॉर्शन कराना कानूनी तौर पर वैध माना जाता है.

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