Property Knowledge : हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस! दादा की संपत्ति पर पोते का होता है इतना हक

Property Knowledge : कई लोगों को आजकल प्रॉपर्टी संबंधित कानूनों की जानकारी नहीं होती, और इसलिए अदालतों में परिवारिक संपत्ति से जुड़े विवाद आते रहते हैं। यह विवाद इतना पेचीदा होता है कि कई बार ये मामले सालों तक सुलझते नहीं हैं। सही उपाय यह है कि परिवार के वयस्क सदस्यों को समय पर संपत्ति का वितरण कर दिया जाए। आमतौर पर, दादा और पोते के बीच संपत्ति के मामलों में विवाद उत्पन्न होता है।

इसलिए, जरूरी है कि हम जानें कि दादा की संपत्ति में पोते का कितना हिस्सा होता है और उसके अधिकार क्या होते हैं। जब कोई व्यक्ति अपनी पीछे वसीयत नहीं छोड़ता है, तो इस सवाल का विशेष महत्व होता है। पहले समझना जरूरी है कि पोते को अपने दादाजी की स्व-अर्जित संपत्ति पर कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं होता है। हाँ, पुष्टैनी या पैतृक संपत्ति में पोते को अधिकार होता है, जिसका मतलब है कि जब वह जन्म लेता है, तो वह उस संपत्ति का अंशी हो जाता है जो उसके दादा को उसके पूर्वजों से मिली होती है। हालांकि, दादा की मृत्यु के बाद, उसे उसका हिस्सा नहीं मिलता। यदि दादा ने संपत्ति खुद खरीदी है, तो उसे उसे किसी को भी दे सकता है, और पोता उस फैसले का चुनाव नहीं कर सकता।

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क्या पोते को संपत्ति मिलेगी?
यदि कोई व्यक्ति बिना वसीयत के मर जाता है, तो उसकी स्व-अर्जित संपत्ति पर केवल उसके कानूनी वारिसों को ही मिलेगी, जैसे कि उसकी पत्नी, पुत्र और बेटी। पोते को कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। मृतक की पत्नी, पुत्र और पुत्रियों द्वारा विरासत में मिली संपत्ति को उनकी निजी संपत्ति के रूप में माना जाएगा और उस संपत्ति में किसी और को हिस्से का दावा नहीं किया जा सकेगा।

यदि दादा की मृत्यु से पहले उनके किसी बेटे या बेटी की मृत्यु हो गई है, तो मृतक बेटे या बेटी के कानूनी उत्तराधिकारी को वह हिस्सा मिल जाएगा जो पहले पुत्र या पुत्री को मिलना था। इससे स्पष्ट है कि अगर किसी व्यक्ति के दादा की मौत हो जाती है, तो दादा की संपत्ति सबसे पहले उसके पिता को ही मिलेगी, उसे नहीं। इसके बाद पिता से उसे उसका हिस्सा मिलेगा। हाँ, अगर दादा की मौत से पहले किसी व्यक्ति के पिता की मौत हो जाए, तो फिर उसे सीधे दादा की संपत्ति में हिस्सा मिल जाएगा।

पैतृक संपत्ति पर अधिकार
पैतृक संपत्ति पर पोते का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। इस मामले में, वह दीवानी न्यायालय में जा सकता है। वह इस संपत्ति के ठीक वैसे ही हकदार होता है जैसे पिता या दादा अपने पूर्वजों से मिली पैतृक संपत्ति के हकदार होते हैं। लेकिन, दादा की मौत होने पर पैतृक संपत्ति भी पोते को नहीं मिलेगी, बल्कि उसके पिता को मिलेगी। पिता से ही उसे उसका हिस्सा मिलेगा। अगर पिता पैतृक संपत्ति में से हिस्सा देने से इंकार करता है, तो वह कोर्ट जा सकता है।

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